Rahim poet in hindi doha of kabir

  • rahim poet in hindi doha of kabir
  • पढ़िए 50+ रहीम के दोहे अर्थ सहित और इनका जीवन परिचय

    “रहिमन धागा प्रेम का, मत तोरो चटकाय, टूटे पे फिर ना जुरे, जुरे गाँठ परी जाय।। ” इसी तरह के Rahim Ke Dohe आपकी स्कूली कक्षाओं, कॉलेज की हिंदी साहित्य की किताबों में पढ़ने को मिलते होंगे। रहीम जिन्हें अब्दुर्रहीम ख़ान-ए-ख़ाना के नाम से भी जाना जाता है उनके दोहे हिंदी साहित्य की अमूल्य धरोहर हैं। रहीम के दोहे की सरल भाषा, गहरी नीतियां और सुंदर भाषा उन्हें अद्वितीय बनाती हैं। चलिए पढ़ते हैं रहीम के दोहे (Rahim Ke Dohe) जो जीवन के विभिन्न पहलुओं पर आधारित हैं।

    रहीमदास का जीवन परिचय 

    रहीम या अब्दुल रहीम खानखाना का जन्म 17 दिसंबर 1556 ईस्वी में लाहौर में हुआ था। इनके पिता का नाम बैरम खां और माता का नाम जमाल खान था और माता का नाम सईदा बेगम था। उनकी पत्नी का नाम महाबानू बेगम था। वर्ष 1576 में उनको गुजरात का सूबेदार नियुक्त किया गया था। 28 वर्ष की उम्र में अकबर ने उनको खानखाना की उपाधि से नवाज़ा था। अकबर के नौ रत्नों में वह अकेले ऐसे रत्न थे जिनका कलम और तलवार दोनों विधाओं पर समान अधिकार था। उनकी मृत्यु 1 अक्टूबर 1627